आवेश के संरक्षण का सिद्धांत (नियम) क्या है?
” किसी प्रथक्कृत निकाय में धनावेश और ऋणावेश का बीजीय योग सदैव शून्य होता है अर्थात आवेश को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। इसे केवल विभिन्न तरीकों से विभिन्न समूहों में परिलक्षित किया जा सकता है जब कांच की छड़ को रेशमी कपड़े पर रगड़ते हैं तो कांच की छड़ से इलेक्ट्रॉन रेशमी कपड़े में चले जाते हैं तब कांच की छड़ धनावेशित तथा रेशमी कपड़ा ऋणावेशित हो जाता है कांच की छड़ में जितना धन आवेश होता है रेशमी कपड़े में उतना ही ऋण आवेश होता है अतः इसका कुल आवेश शून्य होता है। ”
बिन्दु आवेश क्या हैं?
” जब दो आवेशित पिंडों की विमाएं उनके बीच की दूरी की तुलना में नगण्न होती है और ऐसे आदेशों को बिंदु आवेश कहते हैं। “
कुलॉम के व्युत्कृम वर्ग का नियम क्या है?
“किन्ही दो बिंदु आवेशो के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल उन आदेशों के परिणाम के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तो उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्कृमानुपाती होता है। ”
कुलॉम के नियम की सीमाएँ
(1) यह नियम केवल बिंदु आवेशो के लिए सत्य है।
(2) यह नियम केवल स्थिर आवेशो के लिए सत्य है, गतिशील आवेशो के लिए नहीं।
(3)यह नियम केवल अधिक दूरियों के लिए सत्य है। यह नियम नाभिकीय दूरियों पर लागू नहीं होता है।