भंवर धाराएं क्या है?
“जब किसी चालक से संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स के मान को बदला जाता है तो चालक में प्रेरित धाराए (जल में उत्पन्न भंवर के समान) उत्पन्न होती है, जिन्हें भंवर धाराएं कहते हैं।”
भंवर धाराओं की दिशा लेंस के नियम से अथवा फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से ज्ञात की जा सकती है।
भंवर धाराओं की दिशा लेंस के नियम से अथवा फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से ज्ञात की जा सकती है।
भंवर धारा का प्रायोगिक प्रदर्शन।
यदि रेशम के धागे में एक चुंबकीय सुई को बांधकर धागे में एठन देकर छोड़ने पर हम देखते हैं कि चुंबकीय सुई घूमने लगती है। अब इसके नीचे कांच की प्लेट रखे जाने पर, चुंबकीय सुई की गति में कोई प्रभाव नहीं होता है,
किंतु कांच की प्लेट के स्थान पर यदि तांबे की प्लेट रखी जाए तो चुंबकीय सुई तुरंत रुक जाती है।
भंवर धारा की व्याख्या ।
दोलन करती हुई चुंबकीय सुई के नीचे तांबे की प्लेट रखने पर तांबे की प्लेट में भंवर धाराएं उत्पन्न हो जाती है, जो लेंस के नियमानुसार चुंबकीय सुई की गति का विरोध करती है अतः चुंबकीय सुई शीघ्र विराम अवस्था में आ जाती है जबकि कांच की प्लेट में ऐसा नहीं होता है।
भंवर धारा के गुण ।
(1) यह बंद घेरे के रूप में होती है।
(2) इसके कारण चालक गर्म हो जाता है।
(3) यह धाराए जिस कारण से उत्पन्न होती है, उसी का विरोध करती है।
(4) इसका तल चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा में होता है।
(5) इसका मान चालक के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। (6) प्रतिरोध अधिक होने पर, इस का मान कम हो जाता है।
भंवर धारा से हानि व उन्हे कम करने के उपाय।
विद्युत उपकरणो (ट्रांसफार्मर, डायनेमो, प्रेरण कुंडली इत्यादि) में क्रोड नरम लोहे के बने होते हैं, जब इन उपकरणों में धारा प्रवाहित की जाती है तो क्रोड के चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है। परिणाम स्वरूप भंवर उत्पन्न होती है, जिससे क्रोड गर्म हो जाता है। इस तरह विद्युत ऊर्जा का अधिकांश भाग ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में व्यर्थ चला जाता है। धाराओं के मान को कम करने के लिए क्रोड पटलिट बनाए जाते हैं।
Thnxx for explaining me…..