घर्षण क्या है?
“जब किसी वस्तु को किसी दूसरी वस्तु पर चलाया जाता है या चलाने का प्रयास किया जाता है, तो उन दोनों वस्तुओं के तलों या पृष्ठ के मध्य एक बल कार्य करता है। जिसे घर्षण बल कहते हैं। ”
दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर गति करेगी तो उन दोनों वस्तुओं के मध्य एक बल कार्य करेगा जिसे घर्षण कहते हैं।
घर्षण के प्रकार।
घर्षण दो प्रकार के होते हैं – :
(1) स्थेतिक घर्षण।
(2) गतिक घर्षण ।
स्थेतिक घर्षण क्या है?
” जब किसी वस्तु को किसी दूसरी वस्तु पर रखकर उसमें बल लगाया जाता है किंतु वह वस्तु अपने मूल स्थान से विस्थापित नहीं होती है। इसे स्थैतिक घर्षण कहते हैं। “
या यू कहे कि जब किसी वस्तु पर बाह्य बल लगाने पर भी वह स्थिर रहती उसके स्थान से कुछ भी विस्थापित नहीं होता स्थैतिक घर्षण कहते हैं।
गतिक घर्षण क्या है?
“दो संपर्क तलो के मध्य सापेक्ष गति उत्पन्न होने के पश्चात कार्य करने वाले घर्षण को गतिक घर्षण कहते हैं।”
जब तक कोई वस्तु पर बल लगाया जाए ओर वस्तु अपने स्थान से विस्थापित ना हो तो वह स्थेतिक घर्षण होता है। जेसे ही वस्तु अपनी गति की अवस्था में आती है तो उसमे जो घर्षण बल कार्य करता है उसे गतिक घर्षण कहते हैं।
गतिक घर्षण के प्रकार।
गतिक घर्षण दो प्रकार के होते हैं – :
(1) सर्पी घर्षण । (2) लोटनिक (बेलन) घर्षण।
सर्पी घर्षण क्या है?
” जब एक पिंड किसी दूसरे पिंड के पृष्ठ पर फिसलता है तो दोनों के संपर्क तलों के मध्य कार्य करने वाला घर्षण सर्पी घर्षण कहलाता है। ”
इसमें वस्तु का केवल वही पृष्ठ तल के संपर्क में आता है। जिसके द्वारा फिसलने की क्रिया हुई हो।
सर्पी घर्षण का उदाहरण
(1) डस्टर द्वारा मेज पर फिसलना।
(2) बच्चे का स्लाइड पर फिसलने की क्रिया।
लोटनिक (बेलन) क्या है?
“जब एक पिंड किसी दूसरे पिंड पर लुढ़कता है तो दोनों के संपर्क तलों के मध्य कार्य करने वाले घर्षण को बेलन घर्षण (लोटनिक) कहते हैं।”
इसमे वस्तु का लगभग सभी पृष्ठ तल के संपर्क में आता है। क्योकि वस्तु द्वारा लोटनिक क्रिया की जाती है।
इसमे वस्तु का लगभग सभी पृष्ठ तल के संपर्क में आता है। क्योकि वस्तु द्वारा लोटनिक क्रिया की जाती है।
बेलन घर्षण (लोटनिक) के उदाहरण
(1) किसी गिलास का किसी पृष्ठ पर लुढ़कना।
(2) मनुष्य का जमीन पर लोटना।
सीमान्त घर्षण क्या है?
” जब कोई वस्तु स्थैतिक घर्षण के अंतिम चरम सीमा पर पहुंचकर अपने मूल स्थान से हटने ही वाली होती है तो उसे सीमांत घर्षण कहते हैं।”
इसे हम यू समझे कि जब वस्तु विराम अवस्था से गति अवस्था की ओर बढ़ती है ओर स्थेतिक घर्षण समाप्त होने की सीमा पर होता है तो उसे सीमांत घर्षण कहते हैं।
सर्पी और लोटनिक (बेलन) घर्षण में अन्तर।
(1) ” जब एक पिंड किसी दूसरे पिंड के पृष्ठ पर फिसलता है तो दोनों के संपर्क तलों के मध्य कार्य करने वाला घर्षण सर्पी घर्षण कहलाता है। “
“जब एक पिंड किसी दूसरे पिंड पर लुढ़कता है तो दोनों के संपर्क तलों के मध्य कार्य करने वाले घर्षण को बेलन घर्षण (लोटनिक) कहते हैं।”
(2) सर्पी घर्षण का मान अधिक होता है।
बेलन घर्षण का मान कम होता है।
(3) फिसलने वाले पिंड का वही तल सदैव दूसरे पिंड के संपर्क में होता है।
घूमने वाले पिंड के विभिन्न भाग संपर्क में क्रमश आते हैं।
विराम कोण क्या है?
” जब कोई पिंड किसी नत समतल पर सीमांत संतुलन में हो तो नत समतल का क्षेतिज से झुकाव विराम कोण कहलाता है। ”
घर्षण कोण क्या है?
“सीमांत घर्षण और अभिलंब प्रतिक्रिया का परिणामी, अभिलंब प्रतिक्रिया के साथ जो कोण बनाता है उसे घर्षण कोण कहते हैं।”
घर्षण से लाभ।
(1) घर्षण के कारण ही हम भोजन चबा पाते हैं।
(2) घर्षण से ही हम आग उत्पन्न करते हैं।
(3) घर्षण द्वारा ही हम पृथ्वी पर चल पाते हैं।
(4) घर्षण द्वारा ही हमारे वाहन सड़कों पर दौड़ पाते हैं ।
(5) घर्षण द्वारा ही हम रस्सी बना पाते हैं तथा रस्सी से सामान को बांध पाते हैं।
घर्षण से हानिया।
(1) घर्षण के कारण मशीन के कल पुर्जे घिसते हैं।
(2) घर्षण के कारण मशीन की दक्षता कम होती है।
(3) घर्षण के कारण मशीनों को दी गई ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है जिससे उर्जा की हानि होती है।