कार्य क्या है?
“किसी वस्तु पर लगने वाले बल तथा उसके द्वारा वस्तु में हुए विस्थापन के गुणनफल को वस्तु पर किया गया कार्य कहते हैं। “
कार्य की प्रकृति।
किसी वस्तु पर किया गया कार्य धनात्मक ऋणात्मक अथवा शून्य होता है। यह बल तथा विस्थापन के बीच के कोण पर निर्भर करता है। इन बलों की प्रकृति निम्नानुसार अलग अलग होती है।
धनात्मक कार्य क्या है?
जब किसी वस्तु पर लगने वाले बल तथा उसके विस्थापन के बीच का कोण न्यूनकोण हो तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य धनात्मक होता है, तथा जब उनके बीच का कोण 0° होता है तो कार्य का मान अधिकतम होता है।
धनात्मक कार्य के उदाहरण।
घोड़ागाड़ी को जब एक घोड़ा खींचता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है इसमे बल एवं विस्थापन एक ही दिशा में होता है।
ऋणात्मक कार्य क्या है?
जब किसी वस्तु पर लगने वाले बल एवं उसके विस्थापन के बीच का कोण अधिक कोण या कौण का मान 180° हो तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य ऋणात्मक होता है जब उनके बीच का कोण 180° हो तो बल का परिणाम अधिक होता है।
ऋणात्मक कार्य के उदाहरण।
जब कोई वस्तु ऊपर की दिशा में फेंकी जाती है तब गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
शून्य कार्य क्या है?
यदि किसी वस्तु पर लगने वाला बल उसके विस्थापन की दिशा के लंबवत हो तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य शुन्य कार्य होता है।
शून्य कार्य के उदाहरण।
यदि कोई वस्तु घर्षण रहित मेज पर क्षेतिज दिशा में सरकती है तो लगने वाले गुरूत्विय बल के कारण वस्तु पर किया गया कार्य शून्य होता है।
ऊर्जा क्या है?
“किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहते हैं। “
गतिज ऊर्जा क्या है?
“किसी वस्तु में गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। “
अचर बल क्या है?
” वह बल जिसका परिणाम एवं दिशा नियत होती है अचर बल कहलाता है। “