विद्युत विभव का अध्यारोपण सिद्धांत क्या है? विभव को प्रभावित करने वाले कारक। विभव प्रवणता समविभव पृष्ठ

विद्युत विभव का अध्यारोपण सिद्धांत क्या है? विभव को प्रभावित करने वाले कारक।  विभव प्रवणता क्या है?  समविभव पृष्ठ क्या है? समविभव पृष्ठ के उदाहरण व गुण।  विद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या है? विद्युत परिरक्षण क्या है?

विद्युत विभव का अध्यारोपण सिद्धांत क्या है? 

“आवेश निकाय के कारण किसी बिंदु पर विभव अलग-अलग आवेशों के कारण उस बिंदु पर उत्पन्न विभव के बीजगणितीय योग के तुल्य होता है। ”
                              इस सिद्धांत को विद्युत विभव का अध्यारोपण सिद्धांत कहते हैं।

विभव को प्रभावित करने वाले कारक।  

(1) आवेश की मात्रा। 
(2) चालक का क्षेत्रफल ।
(3) आवेशित चालक के समीप अन्य चालक की उपस्थिति। 
(4) चालक के परित: माध्यम। 

विभव प्रवणता क्या है? 

“विद्युत क्षेत्र में दूरी के साथ विभव परिवर्तन की दर को विभव प्रवणता कहते हैं। ”

अर्थात् विद्युत क्षेत्र में जब दूरी ओर विभव में परिवर्तन होगा तब उन दोनों के परिवर्तन की दर को विभव प्रवणता कहते हैं। 

समविभव पृष्ठ क्या है?

“वह पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विभव समान होता है , समविभव पृष्ठ कहलाता है। “
समविभव पृष्ठ के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक एकांक धनावेश को ले जाने में किया गया कार्य शुन्य होता है। 



समविभव पृष्ठ के उदाहरण। 

(1) एकसमान क्षेत्र में समविभव समतल पृष्ठ। 
(2) सजातीय आवेश के समविभव पृष्ठ।
(3) वैद्युत द्विध्रुव के समविभव पृष्ठ। 

समविभव पृष्ठ के गुण ।

(1) पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव समान होता है। 
(2) आवेश को इस पृष्ठ में विस्थापित करने में किया गया कार्य शुन्य होता है। 
(3) विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ के लंबवत होती है।  
(4) किसी विद्युत चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है। 
(5) दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं काटते। 



विद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या है? 

“सजातीय आवेशों में प्रतिकर्षण होता है। किसी निकाय में उनके आवेशों की स्थिति के कारण निहित ऊर्जा को विद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। “
किसी वस्तु में दो कारणों से विद्युत स्थितिज ऊर्जा हो सकती है अपने खुद के आवेशों के कारण तथा अन्य आवेशित वस्तुओं के सापेक्ष इसकी स्थिति के कारण। 

स्थिर विद्युत परिरक्षण क्या है?

“किसी चालक के बाहर उपस्थित आवेश तथा विद्युत क्षेत्र विन्यास का प्रभाव उनके कोटर पर नहीं होता तथा कोटर बाह्य विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से सदैव परिरक्षित रहता है, इस स्थिति में कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र सदैव ही शून्य होता है। इसे स्थिर विद्युत परिरक्षण कहते हैं। “

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